बाईबल की सच्चाईयां: उद्धार


उद्धार

सुसमाचार यह घोषणा करता है कि सभी मनुष्‍य प्रभु यीशु मसीह पर विश्‍वास करने के द्वारा अपने पापों से छुटकारा प्राप्‍त कर सकते हैं। परमेश्‍वर ने यीशु मसीह को संसार में अपने बलिदान के मेमने के रूप में भेजा ताकि वह संसार के पापों के लिए प्रायश्चित करें (यूह.1:29)। यीशु मसीह का देह बलिदान के लिए पवित्रात्‍मा के द्वारा अभिषिक्‍त एवं अलग किया हुआ देह था (लूका 1:35; इब्रा. 10:5)। पवित्रात्‍मा ने यीशु मसीह के उन दु:खों को जो वह हमारे पापों के प्रायश्चित के लिए सहने वाला था पुराने समय के अपने भविष्‍यद्वकताओं पर पहले से ही प्रगट कर दिया था (1पत.1:10,11)। मसीह अपने देहधारण एवं प्रायश्चित की मृत्‍यु के द्वारा मनुष्‍य एवं परमेश्‍वर के बीच में मध्‍यस्‍त बन गया; इस तरह, अपने शरीर का उस अनंत आत्‍मा के द्वारा बलिदान करके उसने हमारे लिए परमेश्‍वर की उपस्थिति में प्रवेश का मार्ग बना दिया (इब्रा.10:19;20)। इस प्रायश्चित की मृत्‍यु एवं पुनुरुत्‍थान (मृत्‍कों में से जी उठने) के द्वारा वह परमेश्‍वर और मनुष्‍य के बीच में मेल मिलाप का मार्ग बन गया (रोम.5:10; इब्रा.1:3)।

जो इस उद्धार के दान को ठुकरायेंगे वे अपने पापदोष में पड़े रहेंगे और ‘प्रभु के सामने से, और उसकी शक्ति के तेज से दूर होकर अनन्‍त विनाश का दण्‍ड पाएंगे’ (2थेस. 1:9)। जो यीशु मसीह को अपने प्रभु और उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण करेंगे वे अंधकार की शक्ति से छुड़ाए जाकर प्रभु यीशु मसीह के राज्‍य में प्रवेश कराये जाएंगे (कुलु.1:13)। उनहे पुत्र होने एवं यीशु मसीह के संगी वारिस होने का अधिकार दिया गया हैं (यूह.1:12; रोम;8:17)।


उद्धार की आशीषें इस प्रकार से हैं:

  1. पापों से क्षमा (इफि.1:7)
  2. धर्मि ठहराया जाना (रोम.4:25)
  3. अनंत जीवन (यूह.3:16)
  4. स्‍वर्ग में नागरिकता (फिलि.3:20)
  5. अनंत मिरास (इब्रा.9:15)
  6. दुष्‍टात्‍माओं और बिमारियों पर अधिकार (लूका 10:19)
  7. पवित्रात्‍मा का फल (गल.5:22,23)
  8. एक महिमायुक्‍त पुनुरुत्‍थान (1कुरु.15:51-54)

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